हमने अल्लाह के पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से हो रहे अत्याचार की शिकायत की जब वह काबा के साय में अपनी चादर पे बैठे थे। हमने उनसे कहा “क्या आप अल्लाह से हमारे लिये मदद नहीं माँगेंगे? क्या आप अल्लाह को हमारे लिये नहीं पुकारेंगे? उन्होंने जवाब दिया, तुमसे पहले आने वाली क़ौमों में, एक आदमी को लाया जाता और उसे एक गढ़े में गाढ़ दिया जाता जो उसके लिए खोदा जाता। एक आरी उसके सिर के ऊपर रखी जाती और उसको दो टुकड़ों में काट दिया जाता, इस पर भी वह अपना धर्म नहीं त्यागता। एक आदमी का शरीर लोहे के कंघे से खुरचा जाता जिससे उसका मांस और नसें उसकी हड्डियों से अलग हो जाते, यह भी उसके अपना धर्म छोड़ने का कारण नहीं बनता। अल्लाह की क़सम ये धर्म (इस्लाम) प्रचलित होगा यहाँ तक की एक आदमी सना’ से हद्रामौत (यमन के दॊ स्थल) तक की यात्रा करेगा और वह किसी से नहीं डरेगा सिवाय अल्लाह के, या के एक भेड़िये से जो उसकी भेड़ों को ना दबोच ले। लेकिन तुम जल्दबाज़ लोग हो। यह वो समय था जब अल्लाह ने ईमान वालों की गंभीर कठिनाइयों के साथ परीक्षा ली तो उन्होंने अल्लाह के पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) से मार्गदर्शना माँगी।
तो “हम रथ को घोड़े के आगे नहीं बांध सकते”! हम अल्लाह की मदद चाहते हैं, हम चाहते हैं कि वह हमारी रक्षा करे, और हमारे क्षत्रुओं पर हमें विजय दे, वो क्षत्रु जो रात दिन हम पर आक्रमण करते हैं, हम चाहते हैं ऐसा हो जबकी हम किताब और सुन्नह का विरोध करते रहें, अहलुस-सुन्नह के अक़ीदे (आस्था) का उल्लंघन करते रहें, पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) और उनके साथियों के द्वारा दिखाये गये मार्ग का विरोध करते रहें। ये निवारण का रास्ता नहीं है जैसे एक कवि ने कहा – “तुम्हें निवारण चाहिए लेकिन तुम उसका रास्ता धारण नहीं करते – निस्संदेह एक कश्ती सूखी ज़मीन पर नहीं चल सकती” अल्लाह के पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) की सुन्नह का विरोध करने और पापों और बीदा’आत में डूबे रहने से विजय की प्राप्ति नहीं होती, बल्कि ये सब अल्लाह की ओर से सज़ा और तिरस्कार लाते हैं।
وَمَن يُشَاقِقِ ٱلرَّسُولَ مِنۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُ ٱلْهُدَىٰ وَيَتَّبِعْ غَيْرَ سَبِيلِ ٱلْمُؤْمِنِينَ نُوَلِّهِۦ مَا تَوَلَّىٰ وَنُصْلِهِۦ جَهَنَّمَ وَسَآءَتْ مَصِيرًا (سورة النساء ٤:١١٥)
तथा जो व्यक्ति अपने ऊपर मार्गदर्शन उजागर हो जाने के पश्चात् रसूल का विरोध करे और ईमान वालों की राह के सिवा (दूसरी राह) का अनुसरण करे, तो हम उसे वहीं फेर देंगे, जिधर फिरा है और उसे नरक में झोंक देंगे तथा वह बुरा निवास स्थान है। [सूरह अन-निसा ४:११५]
स्रोत: https://www.salafisounds.com/when-will-the-aid-of-allah-come-by-abu-khadeejah-abdul-wahid/
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