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ई़द के संबंध में दस बातें

26 June 2021

بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

عَنْ عَائِشَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا: قال رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ
“إِنَّ لِكُلِّ قَوْمٍ عِيدًا وَهَذَا عِيدُنَا”
(مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ)

आ़इशा (رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا) रद़ी अल्लाहु अ़न्हा ने बताया: अल्लाह के रसूल ने कहा: प्रत्येक समुदाय की एक ई़द होती है, और यह हमारी ई़द है. [सहमति: स़ह़ीह़ अल्-बुख़ारी (९००,३६३९) और स़ह़ीह़ मुस्लिम (१४७९)]

१) हर साल नए सिरे से खुशी और आनंद के साथ इसकी पुनरावृत्ति (शुरुआ़त) होने के कारण इसे ई़द कहा जाता है। [तहद़ीब अल्-लुगाह: ३/१३२]

२) यह एक ऐसा समय है जिसमें भक्त हर प्रकार की इबादत को पूरा करने में अल्लाह द्वारा धन्य होने के बाद आनंदित होता हैं; (इबादत) जैसे: रमज़ान के महीने में रोज़े (उपवास) रखना (इसलिए – ई़द अल्-फ़ीत्र), हज के संस्कार करना और अल्-अरफ़ा के दिन रोज़ा रखना (इसलिए – ई़द अल्-अधा़)। इन अवसरों के लिए भक्त आभारी होते हैं ताकि (इनके द्वारा) उनके पाप क्षमा होंगे। [देखें इब्न रजब की फ़तह़्हुल्बारी: १ / १७४-५]

३) ई़द इबादत का एक रूप है। उत्सव मनाने के साथ, हम इस दिन अल्लाह की प्रशंसा करते हैं और अल्लाह को याद करते हैं। अल्लाह का फ़रमान है:

وَلِكُلِّ أُمَّةٖ جَعَلۡنَا مَنسَكٗا لِّيَذۡكُرُواْ ٱسۡمَ ٱللَّهِ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِيمَةِ ٱلۡأَنۡعَٰمِۗ 
[الحج : ٣٤]

तथा प्रत्येक समुदाय के लिए हमने (धार्मिक संस्कार नियुक्त किए हैं) क़ुर्बानी की विधि निर्धारित की है, ताकि वे अल्लाह का नाम लें उसपर, जो प्रदान किये हैं उन्हें पालतू चौपायों में से। सूरह अल्-ह़ज (२२:३४)
अ़ब्दुल्ला इब्न अब्बास (رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا) रद़ी अल्लाहु अ़न्हुमा ने कहा: इस आयत में (مَنسَكٗا – धर्मिक संस्कार / विधि) ई़द का संकेत देती है। [तफ़सीर इब्न कथ़िर: १०/६०]

४) ई़द अल्-फ़ीत्र पर, हमें ई़द की नमाज़ से पहले जरूरतमंदों को ज़कात अल्-फ़ीत्र देनी चाहिए। [स़ह़ीह़ अल्-बुख़ारी: १४३८,१४४०] और ई़द अल्-अधा़ पर, ई़द की नमाज़ के बाद जानवर (ऊंट, बैल या भेड) की क़ुर्बानी देनी चाहिए। [स़ह़ीह़ अल्-बुख़ारी: ९५४]

५) ज़कात अल्-फ़ीत्र देने के फ़ायदे – फ़ीत्र गरीबों को ई़द के दिन खाने के लिए (भीख) मांगने से बचाता है। अगर हमारे रमज़ान के रोज़ों में कोई नुक्स हों, फ़ित्र इन नुक्स को ठीक करने का एक अवसर देता है। [सुन्नन अबी दाऊद: १६०९, इब्न अल्-मुलक्किन और शेख़ अलबानि द्वारा प्रमाणित], [शेख़ उ़थयमिन द्वारा मजालिस अर्-रमाद़ान (३२५)]

६) ई़द के दिनों में रोज़े रखने की अनुमति नही है। [स़ह़ीह़ अल्-बुख़ारी: ११९७]

७) यह प्रसारित है की ह़दीस के ज्ञानि इस बात पर सहमत हैं कि ई़द के दिन स्नान (ग़ुसल) करना और खुद को सुशोभित करना (सँवारना) वांछित (बेहतर) है। [इब्न अ़ब्द-अल् बर्र: (अल्-इस्तिद़कार: ७/११)]  ह़दीस में यह भी दर्ज है कि अ़ब्दुल्ला इब्न उ़मर(رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا)  रद़ी अल्लाहु अ़न्हुमा ई़द अल्-फ़ीत्र (के अवसर) पर स्नान करते थे और अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते थे। [अल्-मुवत्ता: १/२३७, अल्-मग़रबी प्रिंट], [फ़तह़्हुल्बारी: २:५१]

८) विशेषतः ई़द की नमाज़ खुली जगह में पढ़ी जाती है। [स़ह़ीह़ अल्-बुखारी: ९३७] यदि खुली जगह संभव न हो, तो – इस्लाम के विद्वानों की सहमति के अनुसार – मस्जिद में पढ़ी जाती है। [मजमूअ़ अ़न्नवावी: ५/५] यदि कोई नमाज़ पढ़ना चूक जाए या खुली जगह या मस्जिद में पढ़ना संभव न हो, तो वह घर पर नमाज़ पढ़ सकता है – जिस तरह अनस इब्न मालिक (رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ) रद़ी अल्लाहु अ़न्हु से साबित है।  [मुस़नफ़ इब्न अबी शैबा: २ / १८३-१८४]

९) ई़द की नमाज़ में हम दो (२) रकआ़त नमाज़ पढ़ते हैं। इस नमाज़ की पहली रकअ़त में हम सात (७) बार तकबीर (अल्लाहू अकबर) कहते हैं (नमाज़ के शुरू की तकबीर सहित) और दूसरी रकअ़त में पांच (५) बार तकबीर कहते हैं (सजदे से उठकर दूसरी रकअ़त के लिए खड़े होने की तकबीर को छोड़कर)। हर रकअ़त में तकबीरें कहने के बाद, हम सूरह अल्फ़ातिह़ा और कोई एक दूसरी सुरह पढ़ते हैं – (सूरह अल्फ़ातिह़ा के बाद) विशेषतः पहली रकअ़त में सूरह अल्-आ़ला, और दूसरी रकअ़त में सुरह अल्-घ़ाशियाह पढ़ते हैं। [इब्न माज़ाह: १२८१,१२८३] या पहली रकअ़त में सूरह क़ाफ़ और दूसरी रकअ़त में सुरह अल्-क़मर पढ़ते हैं। [स़ह़ीह़ मुस्लिम: ८९१]

१०) उत्सव और आनंद का दिन होने के नाते, उस आनंद का एक हिस्सा, अल्लाह की आज्ञा का पालन और लोगों के साथ अच्छे शिष्टाचार (बर्ताव) करने में है। रसूल (ﷺ) सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा: “अल्लाह से ड़रो – तुम जहां कहीं भी हो, और हर एक बुरे कर्म की पूर्ति अच्छे कर्म से करो और वह अच्छा कर्म बुरे कर्म को मिटा देगा, और लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो”। [सुनन अत्-तिर्मिज़ी अबी ज़र्र और मुआ़ज़ (رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا) रद़ी अल्लाहु अ़न्हुमा द्वारा वर्णित]

अंग्रेज़ी प्रति से: उवेस अत्-तविल – @uwaysT
(संक्षेपण)


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