ज़ुल-ह़िज्जा के पहले दस दिन बहुतायत से अल्लाह का ज़िक्र (अल्लाह की महिमा का वर्णन करना और उसे याद करना) करने के दिन हैं। अल्लाह ने फरमाया:
وَيَذْكُرُوا اسْمَ اللَّهِ فِي أَيَّامٍ مَّعْلُومَاتٍ
سُوۡرَةُ الحَجّ : ٢٨
और अल्लाह का नाम लें निश्चित [निश्चित दिनों से अभिप्राय १०, ११, १२ तथा १३ ज़ुल-ह़िज्जा के दिन हैं।] दिनों में
[सूरह अल्-ह़ज्ज : २८]
وَاذْكُرُوا اللَّهَ فِي أَيَّامٍ مَّعْدُودَاتٍ
سُوۡرَةُ البَقَرَة : ٢٠٣
तथा इन गिनती [गिनती के कुछ दिनों से अभिप्रेत ज़ुल-ह़िज्जा मास की ११, १२, और १३ तारीख़ें हैं। जिन को “अय्यामे तश्रीक़” कहा जाता है।] के कुछ दिनों में अल्लाह को स्मरण (याद) करो
[सूरह अल्-बक़रह : २०३]
पुरुषों के लिए यह अनुमती है कि वह अल्लाह का ज़िक्र करते हुए अपनी आवाज को ऊंचा कर सकते हैं। लेकिन महिलाएं इस हद तक अपनी आवाज ऊंची कर सकती हैं जिस हद तक वह खुद को सुन सकती हों और उनके आस-पास के लोग उन्हें सुन सकते हों – इस तरह से कि उनकी आवाज़ पुरुषों की आवाज से कम हो।
सह़ाबा (रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम के साथी) (रद़िअल्लाहु अ़न्हुम) यह तकबीरें कहते थे:
اَللهُ اَكْبَرْ اَللهُ اَكْبَرْ
لا إِلٰهَ إِلَّا اللهُ
اَللهُ اَكْبَرْ اَللهُ اَكْبَرْ
وَلِلّٰهِ الْحَمْدْ
अल्लाहु अक्बर। अल्लाहु अक्बर।
ला इलाहा इल्लल्लाह। |
अल्लाहु अक्बर। अल्लाहु अक्बर।
व लिल्लाहिल ह़म्द।
अल्लाह सर्व महान है। अल्लाह सर्व महान है।
नहीं है कोई (पूज्य) वंदनीय अल्लाह के अतिरिक्त (सिवा)।
अल्लाह सर्व महान है। अल्लाह सर्व महान है।
और अल्लाह के लिए ही सब प्रशंसा है।
या पहली पंक्ति में दो तकबीर [اَللهُ اَكْبَر] को बढ़ाकर तीन तकबीर कह सकते हैं।
जैसा कि हम लाउडस्पीकरों और कुछ मस्जिदों में सुनते हैं, तकबीर एक साथ एक स्वर में नहीं कहना चाहिए। शेख़ अब्दुल-अ़ज़ीज़ इब्न बाज़ (अल्लाह उन पर रह़म करे) ने कहा: “एक साथ एक स्वर में तकबीर कहना शरीयत में जायज नहीं है, यह एक बिदत [بِدْعَةٌ] है – लोगों का एकजुट होकर एक आवाज में तकबीर कहना एक बिदत है, यह (इस्लाम) धर्म में स्थापित नहीं है।”
अंग्रेजी प्रति से: abukhadeejah.com (संक्षिप्त)