अल्लाह ने ज़ुल-हिज्जा [इस्लामी पंचांग का बारहवां (१२) और अंतिम महीना] के दस दिनों की कसम खाई – और अल्लाह (सर्वोच्च महान) किसी चीज़ की कसम नहीं खाता, सिवाय इसके कि वह चीज़ अल्लाह की दृष्टि में महान और आदरणीय हो। अल्लाह का फरमान है:
وَٱلْفَجْرِ
وَلَيَالٍ عَشْرٍ
سُوۡرَةُ الفَجر:١-٢
शपथ है भोर की!
तथा दस रात्रियों की!
(अर्थः ज़ुल-हिज्जा के महीने के पहले दस दिन).
[सुरह फ़ज्र : १-२]
ये दस दिन लोगों के लिए सबसे अच्छे दिन हैं जीनमे वह नेक काम कर सकते हैं और नमाज़, ज़िक्र (अल्लाह का स्मरण), रोज़ा, सदका (दान), और क़ुरबानी जयसे पवित्र कामों से अल्लाह की आज्ञाकारिता का पालन कर सकते हैं।
जाबिर बिन अ़ब्दिल्लाह से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फरमाया:
أَفْضَلُ أَيَّامِ الدُّنْيَا أَيَّامُ الْعَشْرِ
“दुनिया में सबसे अच्छे दिन (ज़ुल-हिज्जा के) दस दिन हैं।”
[इब्न ह़िब्बान, अल्-बज्जार, अल्-अल्बानी द्वारा सह़ीह़ अल्-जामीअ़ में सह़ी घोषित, संख्या १३३]
इब्न अ़ब्बास (रद़िअल्लाहु अ़न्हुमा) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अ़लैहि व सल्लम) ने फरमाया:
مَا مِنْ أَيَّامٍ الْعَمَلُ الصَّالِحُ فِيهَا أَحَبُّ إِلَى اللَّهِ مِنْ هَذِهِ الأَيَّامِ [يَعْنِي أَيَّامَ الْعَشْرِ] قَالُوا يَا رَسُولَ اللَّهِ وَلاَ الْجِهَادُ فِي سَبِيلِ اللَّهِ قَالَ وَلاَ الْجِهَادُ فِي سَبِيلِ اللَّهِ إِلاَّ رَجُلٌ خَرَجَ بِنَفْسِهِ وَمَالِهِ فَلَمْ يَرْجِعْ مِنْ ذَلِكَ بِشَىْءٍ
“ऐसे कोई दिन नहीं हैं जिसमें अल्लाह को अछे काम सबसे ज्यादा पसंद हैं जैसे ये (दस) दिन।” – यानी: ज़ुल-हिज्जा के महीने के पहले दस दिन। लोगों ने पूछा: “ओ अल्लाह के रसूल, क्या अल्लाह के रास्ते में ज़िहाद करना भी नहीं?” अल्लाह के रसूल ने कहा: “ज़िहाद भी नहीं, सिवाय ऐसे व्यक्ति के जो अपनी जान और धन के साथ (अल्लाह के रास्ते में जिहाद के लिए) गया और इसमें से किसी (जान और धन) के साथ वापस नहीं लौटा।”
[अबू दाऊद, संख्या २४३८ और अल्-अल्बानी द्वारा सह़ी श्रेणी में दर्ज]
अल्-बैहक़ी ने मुजाहिद से दर्ज किया, “जब ज़ुल-हिज्जा के दस दिन शुरू होते तो सईद बिन जुबैर (रद़िअल्लाहु अ़न्हु) अल्लाह की आज्ञाकारिता का पालन करने में अपनी क्षमता से भी ज्यादा परिश्रम करते।”
[अल्-अल्बानी का अल्-इरवा देखें, संख्या ८९०]
अंग्रेजी प्रति से: abukhadeejah.com (संक्षिप्त)