रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा: जिस किसी (व्यक्ति) ने रमज़ान के रोज़े रखेन के बाद शव्वाल के महीने मे छह (६) रोज़े रखे, तो वह ऐसा है मानो जिसने पूरे साल रोज़े रखे।
[सह़ीह़ मुस्लिम ११६४]
अल्-ह़ाफ़िज़ अन्-नववी (अल्लाह उन पर रहम करे) ने कहा: मुस्लिम विद्वानों का यह कहना कि (अर्थ:) ‘उसने पूरे साल रोज़े रखे’, इस कारण से है क्योंकि अच्छे कर्मों की मात्रा (अल्लाह द्वारा) दस (१०) गुना कर दि जाती है; तो रमज़ान दस (१०) महीने के बराबर और (शव्वाल के) छह (६) रोज़े दो (२) महीने के बराबर है।
[अल्-मिन्हाज ४/२९७]
शेख़ मुह़म्मद इब्न सालेह़ अल्-उथ्यमिन (अल्लाह उन पर रहम करे) ने कहा: यह बेहतर है कि शव्वाल के छह (६) रोज़े लगातार हो और ई़द अल्-फ़ित्र के तुरंत बाद हो क्योंकि इसमें अच्छे कर्म करने की शीघ्रता (का उदाहरण) है।
[फ़तवा नूर अ़ला अल्-दर्ब, कैसेट नंबर २३९]
शव्वाल के महीने में किसी भी छह (६) दिन रोज़े रख सकते हैं। लेकिन, यदि किसी ने शुक्रवार (जुमआ़) को रोज़ा रखने का इरादा किया हो तो, उसे गुरुवार (जुमेअ़रात) या शनिवार (हफ़्ते) को भी रोजा रखना चाहिए। क्योंकि, सिर्फ शुक्रवार (जुमआ़) को रोज़ा रखने की मनाही है।
मुस्लिम विद्वानों के अनुसार, यदि किसी का रमज़ान में रोज़ा छूट गया हो तो उसे शव्वाल के छह (६) रोज़े रखने से पहले रमज़ान के छूटे हुए रोजों को पूरा करना चाहिए।
(संक्षिप्त)
अंग्रेज़ी प्रति से: @MarkazSalafi